SCHOOL LECTURER EXAM PAPER-1
NOTES SERIES #1
TOPIC- Ancient Indian education system
वैदिक काल में शिक्षा –
👉 वैदिक काल में गुरुकुलों में शिष्यों से किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था अर्थात् शिक्षा निशुल्क थी.
👉गुरुकुल में रहने वाले बालक अन्तेवासी या कुलवासी कहलाते थे .
👉वैदिक काल में शिक्षा उपनयन संस्कार के बाद प्रारंभ होती थी.
👉उपनयन संस्कार के लिए ब्राह्मण बालक को 3 वर्ष, क्षत्रिय बालक को 11 वर्ष तथा वैश्य को 12 वर्ष की न्यूनतम आयु प्राप्त करना आवश्यक होता था।
👉 वैदिक काल में मुद्रण कला का विकास नहीं हुआ था अतः समस्त ज्ञान स्मरण द्वारा सुरक्षित रखा जाता था अर्थात् रटने पर अधिक बल दिया जाता था.
👉शिक्षा का माध्यम संस्कृत था।
👉वैदिक काल में दंड का कोई प्रावधान नहीं था, शारीरिक दंड पूर्णतः निषिद्ध था।
👉वेदों का अध्ययन करने के आधार पर छात्रों का वर्गीकरण
एक वेद का अध्ययन करने वाले छात्र - स्नातक
दो वेद का अध्ययन करने वाले छात्र - वसु
तीन वेद का अध्ययन करने वाले छात्र - रूद्र
चार वेद का अध्ययन करने वाले छात्र - आदित्य
👉वैदिक काल में कोई निर्धारित परीक्षा प्रणाली नहीं थी।
👉 वैदिक काल में शिक्षा धर्म प्रधान थी .
👉वैदिक काल में ज्ञान को मनुष्य का तीसरा नेत्र माना जाता था
👉वैदिक काल में शूद्रों को उच्च शिक्षा के अधिकार से वंचित रखा गया था.